दोस्तो हमारी मनाली की यात्रा खत्म हुई तब हम वापस हो रहे थे, छिंदवाडा अपने घर मे, लेकिन हम सोचे रास्ते ताजमहल है तो क्यो न ताजमहल घूमने के लिए रुक जाए,



हम मनाली से दिल्ली उत्तर गए, दिल्ली से हम लोग ताजमहल ले लिए ट्रेन में बैठ गए थे, 
ताजमहल देखने के लिए हम लोग काफी वयाकूल थे, 
हमारी ट्रेन आ चुकी थी, लेकिन ट्रैन में बहुत ज्यादा भीड़ थी, लोकल दबे में चरने की जगह ही नही थी,
इसकिये हमे रिसर्वशन वाले डबे में बैठना पड़ा,
हमने सोचा 3 घण्टे का रास्ता है और सुबह का वक़्त भी, तो शायद टीटी हमे नही मिलेगा , 
अब हमेंअगर पहुचने में सिर्फ 15 रह गए थे,
लेकिन तभी अचानक से टीटी आ गया ,
हम लोगो की दिल की धड़कन तेज हो गई,
समझ नही आ रहा था कि क्या करे,
अब स्टेशन आने ही वाला था ट्रैन थोड़ा सलौ हो गई , ओर टीटी भी पास आ गया, टीटी ने हमारे पीछे वालो का चलान बना दिया, अब बस हमारी पारी थी लेकिन तभी ट्रैन रुक गई और हम तुरंत उत्तर गए,
हमे लगा अगर आ गया , लेकिन हड़बड़ी में हम एक स्टेशन पहले उत्तर गए,
टीटी से तो बच गए लेकिन हम अगर के पहले स्टेशन में ही उतर गए ,
अब हमें ताजमहल जाने तक के लिए यह से एक ऑटो किया, जिसने हमसे 150रु लिए,
ओर हमे अगर के ताजमहल तक चोर दिया, यह से ताजमहल 12, से 13 km ओर था, यही पे पास में कुछ लोग पैरो में पहनन के मोजे बेच रहे थे, जो 10रु के थे, 
उन लोगो ने कहा कि अगर आप अंदर जाएंगे तो इसको पेहेन ही पड़ेगा, ओर अंदर ये ओर महँगा मिलेगा, हमने ले लिए दोनों के ये, मोजे एकदम काजग की पोलोथिन जैसे थे , जिसे जूतों के ऊपर से पहनना था,
हम लोग वह से ऑटो कर लिए ताजमहल तक जाने के लिए उसने भी हमसे 100रु ले ही लिए, अब हम ताजमहल पहुच गए, 
अंदर जाने पे चेकिंग सबसे पहले आपको एक लाइन में लगना होता है चेकिंग के लिए, 
उस लाइन आपको गार्ड चेक करते है , फिर आप अंदर जा सकते हो,
अंदर जाने के बाद आपको  टिकट कटवाना होता है,
अंदर जाने के लिए आपको 1 व्यक्ति का 50 रु लगता है, 
हम बहुत वयकुल थे तजमहेल को देखने के लिये,
हम अंदर गए धूप बहुत तेज थी, अंदर में हमे संगेमर से बना हुई बड़ी बड़ी दिवाले दिखे, जो हमे ताजमहल से लगी थी, हम जैसे ही अंदर गए तो ताजमहल हमारे सामने था, 
ताजमहल से 1km की दूरी पे हर लोग खड़े हो कर फ़ोटो खिंचवा रहे थे, हमने भी वह पे कुछ फोटो ली,
अब हम अंदर की ओर चल दिये , ताजमहल के पास में बहुत ही बढ़िया एक गार्डन है, जो आपका मन मोह लेगा, जैसे जैसे हम पास जा रहे थे तजमहेल और बड़ा दिखने लगा, 

अब हम तजमहेल के काफी करीब थे , हमने ताजमहल को पास से देख लिया,

कहते है तजमहल प्यार की निशानी है, लेकिन ये सच जे।की कहावत हम भी नही जानते, लेकिन एक बात तो जरूर है कि तजमहेल बहुत ही ज्यादा खिबसूरत है,
दोस्तो तजमहेल के पास से बहुत बड़ी यमुना नदी गई है जो इसे ओर खूबसूरत बनाती है', 
तजमहेल के भीतर जाना मना था क्योकि वह जाने के लिए आपको एक ओर टिकट कटवाना पड़ता है, 250रु की ,भीतर जाने पे आपको मुमताज ओर सजहा का मकबरा देखने को मिलएग,

लेकिन हम लोग नही गए , क्योकि हम लोगो ने सुना है कि रियल वाला मकबरा तहखाने में में नीचे है और वह पे उरुस होने के वक़्त जाया जाता है ओर वो भी बिल्कुल मुफ्त में,
ओर जो अभी ये मकबरा दिखा रहे है वो उसे काफी ऊपर बनाया है दरस्को के लिए
के
अब हम वापस लौट गए  
अब हम तजमहेल के बाहर आ गए, तजमहेल के बाहर अब हम लालकिले की ओर चल दिये, ये लालकिला देखने के दिल्ली के जैसे लालकिला के जैसे ही है