दोस्तो मुझे याद है जब हम लोग महादेव चौरागढ़ की यात्रा में जाने वाले थे , उस दिन 15 फेब्ररी था ,
हम लोग इतने खुश थे क्योंकि भोलेनथ जी ने हमे बुलाया था ऐसा लग रहा था,

15/02/2020
5:30 am
हमारे दिन की शूरूआत हो चुकी थी, हम दोनों सुबह जल्दी उठ के तैयारी में लग गए थे , हमे 6:30 बजे तक निकलना था अपनी यात्रा में, मेरी मामीजी ने रास्ते मे खाने के लिए सब्जी और रोटी बना दी थी ,
छिंदवाड़ा से पचमढ़ी ओर पचमढ़ी से महदेव जाने तक बस चलती है, लेकिन हम लोग 

7:00 am
हम निकल चुके है महादेव की यात्रा में,

दोस्तो बड़े महदेव जाने के लिए दो रास्ते है , हम दूसरे रास्ते से जाने थे , वो रास्ता पचमढ़ी होते हुए जाता है,

8:00am
अब हम परासिया पहुच चुके है
हमने यह पे चाय पीये ओर समोसा खाया , अब हम यहा से निकल गए है, 


9:30 am
अब हम तामिया पहुच गए, आज का मौसम भी हमारा बहुत साथ दे रहा है,  हम बहुत जगह रुकते हुए जा रहे थे ताकि मौसम का ओर सफर का मजा ले सके,
कुछ देर में हम मटकुली पहुच गए, 
मटकुली से एक मोड़ पिपरिया ओर दूसरा मोड़ पचमढ़ी जाता है,
हम पचमढ़ी की रोड में निकल गए


काफी दूर जाने के बाद काफी घने जंगल आने लगे, 
हर जगह बस बड़े बड़े पेड़ लगे है, 
पचमढ़ी में बहुत ही ज्यादा मोड़ है, बाइक चलाने में थोड़ी सी दिकत हो रही थी इसकिये मैन बाइक काफी धीरे कर दी

11:30
अब हम पचमढ़ी पहुच चुके है


पचमढ़ी भी एक बहुत बड़ा हिल स्टेशन है, जहा पे लोग रोमांचक सफर का मजा लेने आते है,
पचमढ़ी में हर जगह मेला भरा था, अब हमे भूक लग गई इसलिए हम यही पे एक जगह रुक गए और मम्मी के हाथ से बना खाना निकाल के कहने लगे, 



अब हम महादेव के रास्ते मे निकल गए, 
महादेव रास्ते में  काफी घाना जंगल था, इतना घाना की दूर दूर तक कोई हमारी आवाज भी न सुन पायेगा,



1:00 pm
अब हम महादेव पहुच चुके है , यहाँ पे बाइक आगे नही जाती, बस यही पे बाइक रख के हमे पैदल यात्रा करना था, 
बाइक रखने के यह पे 50 रु दिए हमने

1:30 pm
अब हम पैदल चढ़ने लगे, महादेव का रास्ता बहुत ही कच्चा था, हर किसी की जुबा पे बस भोलेनाथजी का नाम था, हर कोई बोल रहा था हर हर भोले ,बम बम भोले, हम दोनों भी भोलेनाथ का नारा लगाते हुए निकल पड़े

तभी मेरी वाइफ को चलने में दिकत हुई तो उसने सेंडल उत्तर ली ओर बिना सेंडल के ही, चलने लगी, अब महादेब तक जाने का रास्ता पूरा पैदल था और यहा से हम लोग भगवान भोलेनाथ का नाम ले कर चल दिये, 



रास्ते मे कुछ गरीब लोग भी मिले तो कुछ लोग बूढ़े लोगो को अपने कंधों में ढो कर दरसन करवाने ले जा रहे थे, ये उनकी रोजीरोटी है


हम लोग अब मंदिर पास आ रहा था वह का नजर देखने लायक था, आस पास का घना जंगल और बड़ी बड़ी चाटने मन को मोह लेती है , हम लोग काफी ऊपर चढ़ चुके थे,  काफी चढ़ाई होने के कारण हम लोग थक जाते थे बार बार ,
इसकिये हम लोग रास्ते मे ही थोड़ा बेठ जाते, फिर चलने लगते , मुझे काफी थकान लगने लगी थी और चलने में भी मेरी हार्टबीट बहुत तेज हो जाती,
तभी मुझे एक बड़ी सी लकड़ी का टुकड़ा मिला , मैन उसे उठा लिया और उसके सहारें से चलने लगा , अब हम काफी दूर पहुच चुके थे,  थोड़ा रास्ता ओर बाकी था, शाम का 4 बज चुका था, 



मंदिर का गेट दिखने लगा, अब हम मंदिर के काफी करीब पहुच चुके है,


 तभी वह पे एक जगह पे सभी को चपल उतारना था, हम लोग अपनी चपल वही उत्तर दिए,  अब दुकान से प्रसाद खरीद कर हम मंदिर की तरफ चल दिए, 



मंदिर में कफी भीड़ थी और सब एक दूसरे से चिपक छिपक के अंदर जा रहे थे,

6:00 pm


हम लोगो ने भगवान के दरसन कर लिए काफी भीड़ थी इसलिए ज्यादा देर वह पे रुकने नही दिए , हम वह पे पेर पड़ के बाहर निकल गए और बाकी पूजा बाहर कर लिए,



अब हम वापस नीच की ओर चल दिये, शाम का 6 बज चुका रहा और धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा था,
लेकिन लोगो का आना जाना कम नही हुआ,



तभी वह पे हम लोगो ने पास से सूरज भगवान को डूबते हुए देखा, सच में ये नजर बहुत ही अध्भुत था


7:00 pm
हम काफी नीचे उतार चुके थे
ओर हमे काफी जोर से भूख लगी थी, तभी वह पे कुछ जगह पे मक्के की रोटी और टमाटर की चटनी मिल रही थी 20रु प्लेट , हमसे रहा नही गया और हमने वह पे खाने के लिए रुक गए मक्के की रोटी खाने के बाद पेट को बहुत शांति मिली, 



अब हम आगे चल दिये , रास्ते मे बहुत ही ज्यादा अंधेरा था, कुछ जगह हमे अपने मोबाइल का टॉर्च जलाना पड़ा, 

8:00pm
अब काफी आगे आ चुके थे ओर अभी भी हमारी भूक मीठी नही थी और नींद हमे धीरे धीरे घेर रही थी, हम दोनो हिमत कर के काफी दूर तक चल दिए थे, लेकिन तभी रास्ते मे एक जगह ऐसी आई जहा पे एक दम अंधेरा हो गया हमने वह पे पूछा तो लोगो ने बोला थोड़ा और आगे जाने पे सोने की वव्यवस्त मिल जाएगी 
हम धीरे धीरे आगे बढ़ते गए लेकिन तभी अचानक से देखा तो आगे एकदम गुप अँधेला हो चुका था , 

तभी हम कुछ लोग नजर आए  उस अंधेर में जाते हुए , हम उनके पीछे पीछे चल दिए, चुपचाप बिना आवाज किये,

मन बहुत घबरा गया तथा, फिर भी हम हिमत कर के चलते रहे, थोड़ी दूर हमे थोड़ी रोशनी दिखाई दी, हमारी जान म जान आई, अब हम उस अंधेरे से आगे निकल चुके थे  अब हमारी हिमत जवाब दे रही थी ओर तभी मेरी वाइफ ने हिमत हर गई और बोली ली अब मुझसे इससे आगे जाना नही होगा, लेकिन मैं क्या करता तभी अपनी वाइफ को हिमत दी और कहा चलो भगवन साथ ही , कुछ नही होगा और कोशिश करो, ऐसा करके हम काफी आगे आ गए तभी वह पे दुकाने दिखने लगी, 


अब इतनी रात में ओर सफर करना हमारे बस में नही था, वह पे दुकानों में सोने के लिए बिस्तर किराये से मिल जाता है, हमारे लिए तो वे समझो जैसे अमृत ही मिल गया होगा

हम लोग वही पे किराये का बिस्तर ले लिए , हम दोनो का बिस्तर 90रु में मिल गया और वही पे खाना भी था 40रु प्लेट, हमने वही से खाना ले के कहा लिया , 




9:30pm 
अब हमें बहुत जोर से नींद आने लगी हम दोनों वही पे सो गए

16/02/2020
5:30 am
दोस्तो हमारी सुबह हो चुकी है और अब हम चाय पी के  अपने आगे के सफर में निकल गए ,


6:30 am
हम अपनी बाइक के पास पहुच चुके थे1
तभी हमे वह पे गुप्त महदेव का रास्ता दिखा हम सोचे की पास में है तो दरसन कर लेते है




हम गुप्त महदेव पहुच गए , दरसन करने के लिए हमने एक बहुत ही सकरी गुफा से जाना पड़ा , अंदर भगवान शिव जी की प्रतिमा थी, हम दरसन कर के बाहर निकल गए







जाने से पहले वही पे एक कपड़ो की दुकान लगी थी हम कपड़े देखने लगे , वह पे मेरी वाइफ को एक जैकेट बहुत पसंद आया, लेकिन उसमे एक बटन थोड़ा खराब सा था, 


हमने जैकेट के पैसे कम करवाये , तो वो नही माना, हम जैकेट लेते लेकिन फिर मैंने सोचा कि ओर दुकान दिखते है इससे कुछ अच्छा मिल जाएगा, ओर नही मिला तो फिर ये ही ले लेंगे , 
हम 2 दुकान ओर आगे निकल गए जाने से पहले हमने जैकेट वाले को बोल भी दिया कि इसे किसी को मत देना।हम ये जैकेट ले जाएंगे , उसने भी जैकेट साइड में रख दिया, हम कुछ दुकान गए लेकिन फिर वापस उसी दुकान में आये क्योकि हमे ओर कही इतना पसंद नही आया, हम जैसे ही वापस उस दुकान में आये , हम जैकेट से 2 कदम दूर थे कि तबि किसी औरत ने वो जैकेट उठा लिया और पेहेन के देखने लगी, मेरी वाइफ न कहा की ये जैकेट हम पसंद कर के गए थे,  लेकिन हमे लगा कि वो औरत हमे जैकेट उत्तर के दे देगी, लेकिन तभी वो हमसे लड़ने लगी बोली कि अब इसे मैन पेहेन लिया तो ये अब मेरा हो गया, 


हमने उससे काफी गुजारिश की लेकिन अब उस औरत का ईगो सामने आ गया और वो बहुत ही ज्यादा आकड़ ने लगी, हम भी कुछ नही कर पाए क्योकि जैकेट वो पेहेन चुकी थी और उतारने का नाम नही ले रही थी, मजबूरन हमको वो जैकेट छोड़ना पड़ा, लेकिन मेरी वाइफ ने उसे रास्ते भर बुरा भला कहा , कभी कभी लगता है लोगो के अंदर इंसानियत नही होती, 


हमारा थोड़ा मूड ऑफ हो गया था , लेकिन पचमढ़ी पहुचने तक वह के घने जंगल और प्यारी धूप ने हमारा मूड फिर से ठीक कर दिया।
अभी हमारे पास काफी वक्त था तो सोचा की इतनी  दूर आये है तो क्यो न पचमढ़ी भी घूम ही ले,

पचमढ़ी यात्रा :
हम पचमढ़ी पहुच गए और वह पे एक होटल में खाना खाया, अब हम घूमने के लिए निकल लिए
हमारी कोशिश थी की हम पूरा पचमढ़ी घूम ले उसी दिन लेकिन ये पॉसिबल नही था , क्योकि पचमढ़ी कड़ी बाद ह,  हम पचमढ़ी की वादियों का मजा लेते लेते चले जा रहे थे, तभी रास्ते मे  हादिखो दिखा, या पे बहुत बड़ी खाई है 

देखने के।लिए , हम।सुबह सुबह पहुच गए थे तो वह पे एक मोर दिखाई दिया, 
लेकिन वो हमें देख के जंगल मे चुप गया

हम अब  अपने सफर में निकल गए 
पाण्डवगुफ़ा पहुच गए पाण्डवगुफ़ा का नजर देख के दिल बहूत खुस हो गया,

अब ह दोपहर के 11 बज रहे थे और हमे निकलना भी था इसलिए अब आप वापस छिंदवाड़ा की ओर चल दिये


8:00am
हम अपने घर पहुच गए ,

जय भोलेनाथ