ये ब्लॉग मेरी और मेरे हमसफ़र की मनाली की यादो को तजा करता हे ------


हमारी शादी १२ मार्च २०१९ को हुए , शादी के पहले मेरी वाइफ ने मुझसे एक इक्छा जताई , उसने कहा की मुझे क्या आप शादी के बाद शिमला घूमने ले जायेंगे 

फिर क्या था मैं उनसे इतना प्यार करने लगा था की मेरे मुँह से तुरंत है निकल गया और फिर हमरी शादी हुए , महीना २ महीना बाद हम दोनों ने जैसा सोचा था वैसा शिमल जाने की प्लानिंग की ,  

 लेकिन उस वक़्त मई मतलब गर्मी का मौसम था तो शिमला में बर्फ मिलना तो होना ही नहीं था , फिर हमे पता चला की मनाली नाम की भी कोई जगह हे शिमला जैसी जहा पे शादी के बाद कपल्स जाते हे और मनाली में बर्फ मिल जाती ऐसे मौसम में भी क्योकि वह का टेम्परेचर काफी कम रहता हे 
फिर मैंने अपनी वाइफ को बता की शिमला जैसा ही मनाली भी हे वह चलते हे वह पे बर्फ भी मिल जाएगी 
फिर क्या था मेरी पत्नी ने मुझे हा कर दिया और हम लोग शिमला की जगह मनाली की यात्रा में निकल गए
हम लोगो ने पहले से ही सभी चीज़ो की ऑनलाइन बुकिंग कर ली थी 
जैसे टिकट , होटल , टेम्पो की , 
                                   

अब हमारा सफर चालू हुआ छिंदवाड़ा से दिल्ली तक का फिर दिल्ली से मनाली तक का 
जैसे ही हम दिल्ली पहुंचे तो हमारे पास काफी समाये था इसलिए हम थोड़ा दिल्ली भी घूम लिए 
फिर रात में हम अपने ट्रेवल एजेंसी के पास पहुंच गए जहा से हम लोगो ने मनाली की बस बुक की थी 

 फिर कुछ देर बाद हमारे सामने हमारी बस गई जिसे हमलोगो ने बुक किया था मनाली के लिए 
हम दोनों ने जब बस देखि तो हमारा दिल खुश हो गया , 
बस बहुत बड़ी और उसकी शीट बहुत ही खूबसूरत थी ,अब हमारा सफर चालू हो गया मनाली  लिए 



लेकिन तभी एक आवाज आई , जो की बस के ड्राइवर की थी वो जो बोलना चालू किया तो बिलकुल कही रुका ही नहीं , पुरे सफर में हमारे कान पाक गए उसकी बक बक सुन सुन के , जैसे तैसे हमरी नींद लग गई , और फिर सुबह के 6 बजे हमारी अचना से नींद खुली तो हमने देखा की बस रुकी  होटल में , सभी कुछ खाने के लिए उतरे हे ,
हम लोग भी निचे उतर गए , जैसे ही हम लोग उतर तो बहार का नजर देखने लायक था , ऐसा लग रहा था की मनाली हमारा स्वागत कर रहा हे , इतना सुहाना मौसम था की बस दिल ख़ुशी से भर गया 
अब हमारी बस भी चल पड़ी , कुछ देर बाद हमें एक सुबह का सूरज निकल गया था और हल्का सा पानी का मौसम भी था .

तभी हमारी नजर बस के लगे कच में गई जिसमे बहुत सी छोटी छोटी ओश की बूंदो ने घेर लिया था , तभी कुछ आवाज सी आई पानी की , हमने देखा की एक बहुत ही प्यारी सी पतली सी नदी हे
                                         
जो बहती ही जा रही हे, तभी ड्राइवर की आवाज आई की हम कुलु पहुंच गए हे और 15 मिनिट में इसके बाद मनाली आएगा, तभी हमारी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था , हमे ऐसा लग रहा था की जैसे हम लोग स्वर्ग में पहुंचने वाले हे , तभी अचाना हमारी बस रुक गई ड्राइवर ने आवाज लगाई , सभी लोग यही उतर जाये मनाली आ गया हे 
तभी हमारी नजर बस की खिड़की के बहार पड़ी तो तो हमने देखा , अभी मनाली मे रिमझिम बारिश हो रही थी , और बस भी ऐसे जगह रुकी थी की बहार निकलते तो भींग जाते , बहार कुछ लोग हाथो में होटल की फोटो लिए खड़े थे और कुछ ऑटो रिक्सा वाले भी खड़े थे , हम लोग अपना बेग उठा के बहार निकलने लगे लेकिन तभी वो ऑटो रिक्सा वाले और जो हाथो में फोटो लिए थे हमारे पास आ गऐ ,  सभी लोग अचानक से हमारे पास आ गए , हम लोग घबरा गये , और ऊपर से बहार पानी भी गिर रहा था कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे 


वो लोगो हमे बोलने लगे की  आप हमारे साथ चलिए हम आपको अच्छा होटल दिलाएंगे , तभी हमने उनसे कहा की हम लोगो का होटल पहले से ही बुक हे 
इसलिए हम वही जायेंगे , वो लोग हमको बहुत लालच देने लगे कहने लगे की आपको वह से अच्छा होटल देंगे , लेकिन हम लोग उनकी बातो में नहीं आये और आगे पैदल निकल गए , उन लोगो ने कोशिश बहुत की हमलोगो को ऊलु बनाने की , लेकिन हम लोग उनकी बातो में नहीं आये , तभी एक ऑटो वाला हमरे पास आया बोलै आपको कहा जाना हे , में  वह छोर देता हु, हमने उसे ऑनलाइन बुकिंग किये हुए होटल का एड्रेस बताया तो , तो उसने हमे वह तक छोड़ने का २०० रुपये बताया , हम लोग भी उसे साथ ऑटो में बैठ गए,

ऑटो वाले ने हमें होटल में छोरा , होटल देखने में बहुत अच्छा लग रहा था, हम लोग होटल के अंदर गए 
हमारे होटल ओल्ड मनाली में था और हमारे होटल का नाम गिरिराज गेस्ट हाउस था,
हम होटल के मालिक से मिले और उन्हें अपनी बुकिंग के बारे में बताया तो उन्होंने हमने अपना रूम बताया 
   

हम रूम देख के काफी खुश थे क्योकि रूम अच्छा था हमारे बुगट के हिसाब से, हम लोगो ने ऑनलाइन में ये होटल बुक किया था इसलिए हमे थोड़ा सस्ता मिल गया रूम, हम लोग सफर के कारन बहुत ही ज्यादा थक गए थे , कही जाने का मन ही नहीं हो रहा था , और भूक भी बहुत लगी थी ,  फिर मैंने अपनी वाइफ को वही पे आराम करने को कहा , और होटल के बहार निकल गया, तभी बहार देखा तो पानी गिरने का मौसम होने लगा , 

मै खाने के दुकान देख रहा था तभी पानी गिरने लगा ,  मै घबरा गया की हम सिर्फ २ दिन के लिए मनाली आये हे तो अब ऐसे बारिश होती रही तो हम मनाली कैसे घूमेंगे , तो मुझे एक दुकान दिखी बरसाती की मई वह गया और बरसाती के लिए पूछा तो उसने मुझे सबसे सस्ती बरसाती दिखा दिया , जो १०० रुपये की थी , बरसाती अछि नहीं थी लेकिन मज़बूरी में कम से कम में इससे अच्छा और क्या मिलेगा,

फिर मैं  वापस अपने रूम में आ गया , मुझे बाहर कही पे भी खाना नही मिला जैसे ही रूम में आया तो मेरी wife काफी गहरी नींद में सो गई थी , फिर मैंने दरवाजा जोर से खटखटाया तब मेरी वाइफ की नींद खुली ओर उसने दरवाज़ा खोला 

मेरी वाइफ को मेने बताया कि मैं आस पास  होटल के घूम के अ गया हूं तभी मेरी वाइफ ने बोला मुझे बहुत भूख लगी है, फिर हमने होटल के मलकी से खाने की बात की , तो होटल के मालिक ने बताया कि हमारे यहां पे भी खाना मिलता है, तो हम लोगो ने वही से खाना मंगवा लिया, फिर खाना खाते ही हुम लोग सो गए ,
मनाली में काफी ठंड थी हुम ऐसे गर्मी के मौसम में भी मनाली में हमे ठंडी लग रही थी 


अब हम दोनो की नींद खुल चुकी थी , तभी मैं बाथरूम मे गया फ्रेस होने , बाथरूम काफी साफ था , ओर काफी बड़ा भी था , मै फ्रेश हो के बाहर निकल गया , अब मेरी वाइफ बि फ्रेश होने चली गई जब तक मैं भी तैयार हो गया गया था, तभी अचानक मेरी नजर उस रूम में एक ओर दआवाज़े में गाई, तो मैंने देखा कि वो दरवाजा बंद था ,
तभो मैन दरवाज़ा खोला तो बाहर का नजर देख के मेरी आँखें फटी की फटी रह गई,


वो बंद दरवाजे के पीछे हमारे रूम की गैलरी थी , ओर उश गैलरी से मनाली का बहुत ही मनमोहक दृस्य दिखता वहा से मनाली की ऊंची पहाडियो में लगी बर्फ दिख रही थी , 

मैं उसे देख के बहुत खुश हुआ, ओर वही सामने एक क्लब था जहाँ पे बहुत से विदेशी लोग बैठे थे और वो लोग गाना भी ग रहे थे , 


तभी मेरी वाइफ फ्रेश हो के आ गई , फिर मैंने अपनी वाइफ की आँखों मे हाथ रख के उसे गललरी तरफ ले गया वे ओर जैसे ही हाथ हटाया तो वो भी वो दृस्य देखतो रह गई,

अब दोपहर के 11 बज रहे थे , ओर हमारे पास समय कम था तो हम लोग उसी दिन मनाली घूमने होटल से निकाल गए,  


बाहर पानी गिरना बंद हो चूका था , हम लोग अब होटल के बाहर आ गए , होटल के बाहर हर तरफ बाजार लगा था , ओर मौसम भी बहुत सुहाना था ,
 हस्र तरफ ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेला लगा हो ,हम लोग मार्किट से काफी दूर निकल गए ,
रास्ते मे ब्रिज के पास में हमे दो मोड़ दिखे  जिसमे से एक मोड़ क्लब हाउस की ओर और दूसरा रास्ता हडिम्बा मंदिर की ओर जाता था ,
हम लोग पहले क्लब हाउस की ओर चल दिये ,


क्लब हाउस के रास्ते मे काफी एडवेंचर गेम्स देखने को मिल रहे थे, हम लोग देखते देखते चलते जा रहे थे, 

कुछ जगह हुम लोगो ने फ़ोटो भी ली ,

वहा का दृश्य देख के लग रहा था जैसे वह ले मेला भरा होगा, क्लब हाउस अभी 1 km ओर बचा था ,
तभी रास्ते में हमे फ़ोटो लेने की अछि जगह दिखी हम् लोग वह गए तो देखा की वहां पे कश्मीरी कपड़े किराये से मिल रहे है फ़ोटो खिचने के लिए, 
हुम लोगो ने भी वो कश्मीरी कपड़े पहने ओर बहुत सारी फोटो ओर वीडियो लिए , 




दोस्तो जहा मनाली एक टूरिज़म प्लेस के नाम से जाना जाता है तो वहां पे बहुत से लोग फर्ज़ी समान भी बेच रहे थे जैसे केसर , वह पे केसर बहुत ही सस्ता दाम में दे रहे थे

अब हम क्लब हाउस की ओर बढ़ गए हम हाउस में पहुच गए , यहा की एंट्री फीस 25 रु थी 


हमने टिकट कटवा ली अंदर गए तो देखा कि वह पे बहुत कुछ है जैसे कपड़ो का मार्किट , आइस्क्रीम की दुकान , बच्चों के गेम, ओर भी बहुत कुछ था, 






अब हम क्लब हाउस निकल गए और 
हडिम्बा मंदिर की ओर चल दिये ,  हडिम्बा मंदिर के रास्ते मे एक बहुत ही खूबसूरत जंगल दिखाई दिया
हुम लोग वह गए और वहा पे कुछ फोटो भी ली, जंगल बहुत ही खूबसूरत था,
अब हम हडिम्बा मंदिर के लिए चला दिए


जैसे ही हडिम्बा टेम्पल की चढ़ाई की सीढ़ियां आई हुम बहुत खुश हो गए, हुम् लोग मंदिर के पास पहुच गाये थे, वहां पे काफी लंबी लाइन लगी थी, दरसन के लिए ,


हम भी लाइन में लग गए , मंदिर में हर जगह जानवर हडियॉ टंगी थी, इसकिये इसका नाम हडिम्बा मन्दिर पड़ा , हमारी लाइन काफी आगे बढ़ चुकी थी , हुम लोग मंदिर के काफी करीब थे , हुम मंदिर में गये वहां पे एक हडिम्बा देवी की मूर्ति थी, हम लोग दरसन कर के बाहर निकल गए

अब हम काफी थक गए थे और शाम भी हो चुकी थी और अब हम वापस अपने होटल आ गए , होटल में ही खाना खा के सो गए क्योकि अगले दिन हमे बर्फ के लिए मड़ाई जाना था , जिसे लिए हम दिनों बहुत ही ज्यादा उताबले थे,

आज हमारा दूसरा दिन था मनाली में ओर आज हम पहाड़ों की उष छोटी पे जाएंगे जहा पे हर तरफ सिर्फ बर्फ ही बर्फ है। उस जगह का नाम है मड़ई, ये मनाली से 14 किलोमेटर की दूरी में था लेकिन वह जाने के लिए आपको कोई न कोई साधन चाइये
मैन पहले से ही टेम्पो बुक की थी वहा तक जाने के लिए जिसका किराया 1500 रु था, 

अब हम आज सुबहा 5 बजे ही उठ गए थे हम दोनों को टेम्पो के पास सुबह 7 बजे तक पहुचना था

हुम लोग जलदी से तैयार हो 
सुबह का सुहाना मौसम बहूत ही अच्छा था, ऐसा लग रहा था जैसे हम स्वर्ग में हो, ओर थोड़ी बहुत ठंड भी थी , हुम् लोग होटल के बाहर निकल गए कुछ दूर पेडल चले तो हमे एक ऑटो मिल गई, जिसमे हमें टेम्पो तक छोड़ने के 200 रु लिए
हुम दोनो ठीक 7 बजे पहुच गए टेम्पो के पास लेकिन अभी तक वह हमारी टेम्पो नही आई थी 
फ़ोन में बात करने पे पता चला कि टेम्पो 9 बजे तक आएगी
अब हमें भूक लगी थी तो हम लोग मॉल रोड में कुछ कहने निकल गए हुम् लोगो ने वहां पे चाय पी । ओर ब्रेड के अंडे भी खाए , पेट मे थोड़ी जान आई खाना खा के

धीरे धीरे  8 बज गए कुछ तभी वह के टेम्पो में जाने के लिए ओर भी लोग आ गए , कुछ देर बाद वह पे टेम्पो का मालिक आया और शॉप ओपन की, ओर बोलै टेम्पो बस आने ही वाली है 

हमे सुबह से आये 3 घंटे हो चुके थे हमने सोचा जब तक टेम्पो आ रही है हम लोग फ्रेश हो जाते है टॉयलेट जा कर।। हुम्  फ्रस्श हो ही रहे थे कि आचना से टेम्पो आ गई, ओर सभी लीगो ने अपनी शीट ले ली ,इस तरह से हम लोगो को पीछे की शीट मिली , लेकिन हम तब भी खुश थे क्योकि हुम् साथ मे बैठे थे ओर विंडोए के साइड में थे 

अब हमारी टेम्पो मड़ाई के रास्ते जाने लगी ,
टेम्पो में बहुत से लोग थे कुछ बचो के साथ तो कुछ हमारे जैसे पति पत्नी थे

कुछ दूर जा के गाड़ी रुक गई 
गाड़ी वाले भैया बोले कि यह स आप सभी लॉफ ड्रेस ले ले बर्फ़ में जाने के लिए 
हुम् लोगो को वो ड्रेस 1000 रु में पड़ गई 

हमारी गाड़ी चलने लगी

रास्ते मे बहुत बड़ा जाम लया था
अब सफर काटना काफी मुश्किल हो चला था 
ओर भूक भी लग गई थी

वह पे हम लोगो ने मैग्गी खाई 50 रु प्लेट 
अब  हमारी गाड़ी चलाने लगी , लेकिन गाड़ियों के जाम लगने से हमारी गाड़ी भी बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी , 
अब मुझसे रहा नही गया , मैं नीचे उतर गया ओर मेरी वाईफ गाड़ी में ही थी, जैसे जैसे गाड़ी चल रही थी, ,मैं भी गाड़ी के साथ चल रहा था पेडल पेडल, 

अब हमारी गाड़ी पहाड़ियों के बीचो बीच आ गई 
यहां से पहाड़ी में सफेद बर्फ की चादर हमारा मन मोह रही थी,

अब दोपहर के 3:30 हो रहा था और अभी भी हम मड़ई नही पहुच पाए थे, कभी हमारी गाड़ी थोड़ी तेज चलती तो कभी धीरे धीरे ,
जब गाड़ी तेज होती तो मैं गाड़ी के पीछे जा के लटक जाता ओर वही की खिड़की से अपनी वाइफ को परेशान करता , कुछ दूर पे मुझे एक बहुत बड़ा बर्फ का टुकड़ा दिखा , बर्फ देख के मुझसे रहा नही गया तो मैं तुरंत बर्फ के पास पहुच गया ओर हाथो में बर्फ ले के मस्ती करने लगा,
बर्फ का टुकड़ा देख के दिल खुश हो गया , ऐसा लग रहा था जैसे ये जानत हो ,
मैन थोड़ी बर्फ हाथ मे ले के आया और अपनी वाईफ को फेक के मर , तभी  वह टेम्पो में बैठे कुछ लोग ओर बच्चे नीचे आये और वो भी मेरे साथ बर्फ का मजा लेने लगे 
अब थोड़ा जाम खुल गया ,  हम सभी टेम्पो में बैठ गए , कुछ देर बाद टोल नाका आया, ओर 
 अब हम लोग मड़ाई से 2 km बस बचे थे , लेकिन बार बार जाम लगने से हमे पहुचने में काफी ववत लग रहा था

अब 1 km ओर बचा था लेकिन फिर जाम में गाड़ी रुक गई 
ड्राइवर बोला आप सभी यही से पेडल पेडल चले जाओ और बर्फ का मजा ले लो ड्राइवर बोला
मैं आपको बर्फ के दूसरी ओर मिलूंगा 6 बजे तक , अब 430 बज चुका था हमारे पास 1 घंटे था बर्फ में खेलने का हम सब अपना कुछ खास समान ले के बर्फ की ओर चल दिये

अब हम बर्फ मड़ाई में आ गए ,जहा पे बर्फ की बड़ी बड़ी पहाड़िया थी , 
हुम् दोनो बहुत ही ज्यादा खुश हो गए थे , लग रहा था जैसे हम लोग जानत में आ गए हो 
हम दोनो ने अपने हाथों से बर्फ को छुआ तो दिल मे खुशी का ठंडा सा एहसास हुआ और हम लोग बहुत खुश हो गए , अब हम बर्फ की पहाड़ी में चाड गए और वह से सबको देखने लगे ,  वहां का बर्फीला ठंडा नजर देखने मे बहुत ही अद्भुत लग रहा था , 
तभी हमने देखा कुछ लोग वह पे ऊपर की चोटी से फिसल रहे थे , ओर छीलते हुए नीचे जाते थे, हम भी ऐसा ही करने कि सोच रहे थे, लेकिन दिल घबरा रहा थ की नोचे जाएंगे तो कही लग न जाये, वैसे ये एक दम फिसल सीडी जैसा ही था, बस यह पे बर्फ थी,
सबसे पहले मैंने हिमत की ओर बेग अपनी वाइफ को दे दिया , इस इस बर्फ का मजा लेने के लिए मैं भी दूसरों की तरह फिसल गया ,
जैसे ही मैनें  फिसलन चालू किया मैं रुक ही नही पा रहा था अपने आपको ओर बस एक दम नीचे जाते जा रहा था, इसी तरह हम दोनों ने बहुत मस्ती की ओर एक दूसरे पे बहुत सारी बर्फ भी फेकि , ओर बर्फ को खाया भी, ओर वह पे हुने अपनी यादों का एक गाना भी शूट किया , , गाने का नाम है ये हसीन वाडिया ये खुला आसमा,
अब हम दोनों काफी थक गए थे ,हम दोनों से ठीक से चलना भी नही हो पा रहा था, शायद हमने अंदर बर्फ चली गई थी जिससे हमारी तबियत थोड़ा खराब लग रही थी, हमे बहुत तेज भूक भी लगी थी , ओर वहां पे मैग्गी के लगाव कुछ भी नही था ,
हम लोगो ने वो मैग्गी खाई, अब हम दोनों अपनी टेम्पो में पहुच गए , शाम के 6 बज रहे थे, 
हमारी टेम्पो चल दी , सभी लोग टेम्पो में आ गाये थे
अब हम वापस हो रहे थे,
अब गाड़ी काफी सीपड से चलने लगी और रास्ते मे बहुत ही मोड़ थे जिस के कारण हमें ओर उल्टी जैसा लगने लगा, 
जैसे तैसे ये सफर कटा हम मनाली में आ चुके थे 
रश्ते में बहुत जाम हो गया , ओर हमारी मंजिल 2 कम बची थी, ओर जाम लग गया था, ओर मेरी तबियत भी थोड़ा खरब थी , मुझे टेम्पो में बैठने म अब बिल्कुल भी मन नही था सोच रहा था कि कब हम होटल पहुच जाए और आराम करें ,
अब मुझसे रहा नही गया मैं अपनी वाइफ को लेकर वही उत्तर गया , ओर हम दोनो पैदल ही चल दिये , हमे देख कुछ ओर लोग भी उतर गए , अब हम लोग पैदल चल दिये , 
मेरी तबियत अब थोड़ा ठीक लगीं, मुझे थोड़ा थोड़ा रास्ता याद था इसलिए मैं घबराया नही ओर वाइफ के साथ पेडल ही चल दिया, उस वक़्त मैं रास्ते भर अपनी वाइफ का हाथ थामे चल रहा था और रास्ते भर एक ही बात बोले जा रहा था, ई लव यू , मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु,  पता नही क्यो , शायद मुझे ऐसा करने में एनर्जी आ रही थी, अब हम माल रोड में आ गए थे चलते हुए , जहा से सुबह हम टेम्पो में बैठे थे, अब हमें काफी तेज भूक लग रही थी, हम लोगो ने वही पे एक होटल में खाना खाया,
अब वह से हम लोग ऑटो कर के अपने होटल तक आ गाये
होटल पहुचते ही मेरी वाइफ सो गई, मगर मुझे नींद नही आ रही थी मैं गैलरी में चला गया , जैसे ही गैलरी में गया तो देखा सामने वाले होटल पे कुछ अंगेज़ लोग गाना गा रहे थे  , 
थोड़ी देर बाद मैं भी सो गया,


मनाली की तीसरी ओर आखिर सुबह,
आज हमारा मनाली में आखरी दिन था,
ओर हम लोग बस दोपहर में थी, 
हमारे पास थोड़ा टाइम था इसकिये हम लोग सुबह की चाय पी के घूमने निकल गए , 
हम दुबारा क्लब हाउस गए वह पर मेरी वाइफ ने एक पारश लिया और हमने आइसक्रीम खाई 
अब 

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